चिरैया एक सोयी
थी,
मीठी मीठी नींद
में,
देख रही थी
सपने,
देश एक अनजाने
के ||
मुड़ी तुड़ी सी थी
चिरैया,
घेरा था घना
सुरक्षा का,
आँखें अभी खुली
भी ना थी,
बस महसूस होता
था उसे,
माँ की ममता की
गर्माहट ||
जिस से जीवन बना
था उसका,
भूल में थी भोली
चिरैया,
जीवन ना था
सुरक्षित उसका,
जा पंहुचा दानव
फिर एक||
इरादे नही थे
जिसके नेक़,
सहम गयी नन्ही
चिरैया,
ये सब तो ना
होना था,
खेलना था बाबा
के संग,
माँ की गोदी
सोना था ||
दानव ने कर डाले
कितने ही टुकड़े,
उस आत्मा और
शरीर के,
खून कर दिया उस
जीवन का,
जिसने जीवन देखा
ही ना था ||
मर गया एक बीज,
वृक्ष बनने से
पहले,
सो गयी मौत की
नींद चिरैया ,
आँखे खोलने से
पहले ||
2 comments:
दिल कौ छूती मार्मिक रचना...
शुक्रिया नेह्दूत
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