जो कभी कह न सकी एक नारी उसे कहने का प्रयास है दिल को छू जाए तो समझना दर्द साझा है
Friday, August 8, 2014
तेरे बिना हर एक रात हम पे भारी है
तेरे बिना हर एक रात हम पे भारी है करवटे बदल बदल कर हमने रात गुजारी है ख्वाबो ने तो रुखसती ले ही ली थी अब नींद तुम्हारी बारी है इक तुम्हारे इंतज़ार में पलकों पे सितम जारी है आज तो कट गयी सरिता अब कल की तैयारी है ||
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