Tuesday, August 5, 2014

मेरा घर

गम की ना करे कोई बात यहाँ
खुशियों को जगह कम पड जाती
देख अठखेलियाँ खुशियों की
खुशियाँ भी जिद पे अड जाती ।
                                 
खुद की खुद ही बलैयाँ लू
आप सराहू  और वारी जाऊं
खुशियाँ  है सच्चे मोती सी
धरती पे स्वर्ग कहाँ पाऊं ।

माँगा ना कभी कुछ दाता
बिन मांगे बरसा प्यार तेरा
झोली पड़ गयी छोटी मेरी                
दाता मुझपर उपकार तेरा ।

लक्ष्मीपूजा लक्ष्मी घर आई
शिवरात्री बाबा खुद आन बसे
देवों का है वास मेरे घर में
खुशियाँ आने से कैसे बचे ।

1 comment:

राजेंद्र अवस्थी. said...

वाकई बहुत खूबसूरत लिखा आपने....वाह