Wednesday, October 29, 2014

शुभाशीष

पैर रहें धरती पर अड़े
हाथों में सूरज चाँद पड़े
खुशियाँ बरसाए हर इक पल
दामन जितना भी छोटा पड़े

तन कंचन मन साफ रहे
आत्मा तुम्हारी निष्पाप रहे
महसूस करो पीड़ा सबकी
हर पीड़ा का अहसास रहें
           
दुखों की कभी ना नज़र पड़े
सुखों का कभी ना नशा चढ़े    
गलत कभी ना साथ बढे
सत्य सदा हिम्मत से लड़े

असफलता ना शेष रहे
सफलताओं का समावेश रहे 
मान सदा ऊँचा ही रहे
सूरज सा मुख पर तेज रहे

जीवन मेरा तुम पर अर्पण
उम्र भी मेरी तुम्हे लगे
सरस्वती का वास हो जिव्हा पर
आशीष सदा जीवन भर फलें

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