आओ पूजा करें देवी की रोज नये रूप में
सराबोर कर दें देवी को चन्दन और धुप में||
खुश होकर दिया वरदान तो होगा हर एक सपना पूरा
सच जीवन हो जाएगा कुछ ना रहेगा फिर अधुरा ||
बेटी मरने के लिए और बहु है जलने के लिए
फिर भी चाहिए कन्या नवरात्र पूजन के लिए||
जग को तो बहुत लिया ठग
आओ थोडा भगवन को भी ठगे||
रोज सुबह पूजा करें और दिन भर करे क्लेश
भूखे पेट रहे दिनभर तो धैर्य बचा ना शेष||
नही मांगती देवी हमसे श्रध्दा के भी भाव
बिन बोले ही दिख जाते है उसको दिल के घाव||
मन में लगी है कालिख ऐसी छूटती नही छुटाए
यही दे देती पाप का फल तो करते हाय हाय||
बसती है देवी श्रष्टि की, घर की हर एक नारी में
नारी का सम्मान जो हो तो, खुशियाँ घर की फुलवारी में ||
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