Wednesday, February 20, 2019

चाहत के दीप

जब भी तुमको पास में अपने पाते हैं
चाहत कर हम सौ सौ दिये जलाते हैं

कौन डगर है जिस पर हमको चलना है
कौन से रस्ते तुम तक लेकर जाते हैं

आग लगाते हैं वो खुद आगे बढ़कर
दामन अपना क्यों फिर वही बचाते हैं

याद हमें करते हैं वो भी छुप छुपकर
हम पूछें तो कहने से शर्माते हैं

करते हैं वो बात बहाने से जब भी
सच्चे झूठे किस्से कई सुनाते हैं

आते हैं वो याद हमें जब रह रहकर
दिल से अपने कैसे हमें भुलाते हैं

Saturday, February 16, 2019

नही मरता प्रेम मेनोपॉज से

नही मरता प्रेम मेनोपॉज से

दिल धडकता है सांसे सुलगती हैं
चेहरे पर अनगिनत रंग..
अब भी बिखर जाते हैं
आईना देखकर मुस्कुराना अच्छा लगता है
फूल, खुशबु, भौरे, पतंगे,
सब कुछ ही तो अच्छे लगते हैं..
बारिश की बूंदें तन को अब भी तरंगित करती हैं 
हवाएं मन को गुदगुदा जाती हैं

मेनोपॉज के इतने सालों बाद भी,
तो कुछ भी तो नहीं बदला .
अगर कुछ बदला है तो वो है,
सोचने का नजरिया...
खुद को और ज्यादा खुबसूरत
महसूस करती हूँ इन दिनों ..
आत्मविश्वास पहले से ज्यादा बढ़ गया है
धैर्य,धीरज और स्थिरता जैसे गहने
चार चाँद लगा रहे हैं मेरे व्यक्तित्व में ..

कौन कहता है मेनोपॉज वृद्धावस्था की देहरी है ?
मैं तैयार हूँ जिंदगी की दूसरी पारी के लिए
ये अहसास हैं मेरे जिंदा होने के

ये किसी मेनोपॉज नाम के कीटाणु से मर नही सकते ...