लफ्जो में बयाँ हो ना सका कागज़ में उतारा ना गया
वो एक नज़र देख ना सके हमसे भी पुकारा ना गया ||
वक़्त बदला हालात बदले जैसे दिन और रात बदले
इन आँखों ने देखा कैसे अपनों के जज्बात बदले||
वक़्त रुखसती का ऐसा भी आना था
सिवाय उसके पीछे सारा ज़माना था ||
गीत तो बहुत लिखे मोहब्बत के मगर कभी गा ना सके
सितारे थे आसमां के ताउम्र तकते रहे मगर कभी पा ना सके ||
कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नजर आये हम जहां जहां से गुजरे||
खेल रहे थे मस्त में टकराए वो जो जोरों से
डांट पड़ी है बिजली की रोये है बादल जी भरके||
टूट जाते है मेरे सपने रात ख़तम होते होते
वो बन जाते है बेगाने बात ख़तम होते होते ||
जी लेते है तेरी एक मुस्कान से
यूँ हमारी उम्र कम ना किया करो ||
1 comment:
बहुत बढ़िया हैं ये पंक्तियाँ
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