Thursday, August 7, 2014

दो लाइनें दिल से

लफ्जो में बयाँ हो ना सका कागज़ में उतारा ना गया
वो एक नज़र देख ना सके हमसे भी पुकारा ना गया ||



वक़्त बदला हालात बदले जैसे दिन और रात बदले
इन आँखों ने देखा कैसे अपनों के जज्बात बदले||



वक़्त रुखसती का ऐसा भी आना था
सिवाय उसके पीछे सारा ज़माना था ||



गीत तो बहुत लिखे मोहब्बत के मगर कभी गा ना सके
सितारे थे आसमां के ताउम्र तकते रहे मगर कभी पा ना सके ||



कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नजर आये हम जहां जहां से गुजरे||



खेल रहे थे मस्त में टकराए वो जो जोरों से
डांट पड़ी है बिजली की रोये है बादल जी भरके||



टूट जाते है मेरे सपने रात ख़तम होते होते
वो बन जाते है बेगाने बात ख़तम होते होते ||



जी लेते है तेरी एक मुस्कान से
यूँ हमारी उम्र कम ना किया करो ||





1 comment:

Unknown said...

बहुत बढ़िया हैं ये पंक्तियाँ