दर्द को जुबां मिली शब्दों को मिला आकार
डायरी के पन्ने अब मेरा घर संसार||
शब्दों को सहेजती हूँ
करीने से उन्हें सजाती हूँ|
जो सही जगह पर ना बैठे
तो झगडा भी कर जाती हूँ||
मीठी मीठी थपकी देकर
प्यार से उन्हें सुलाती हूँ||
माँ हु में उन बच्चो की
अब अपना फर्ज निभाती हूँ||
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