Wednesday, August 6, 2014

पुरुषों पर कोई क्यों नही लिखता ?

पुरुषों पर कोई क्यों नही लिखता ?

क्या कभी किसी ने सोचा
पुरुषों पर कोई क्यों नही लिखता ?
स्त्री भी स्त्री पर लिखती है
पुरुष भी स्त्री पर ही लिखता है||

स्त्री के तन और चरित्र के बारे में
ना जाने कितने पोथी पुराण लिखे गये
जब जी चाहा देवी बनाकर पूजा की
जब जी चाहा मिटटी का तेल छिड़क दिया ||

माँ के पेट से सब एक सामान आते है
हमारे धर्म और संस्कार उसे
सबल और निर्बल बना देते है
क्या चल सकेगी ये श्रष्टि स्त्री के बिना ?

स्त्री ही होती है सदा स्त्री की शत्रु
एक माँ के रूप में बेटे और बेटी में भेद करती है
कच्चे मन में बेटी होने का दंश भर देती है
सास, नन्द के रूप में प्रताड़ित भी एक स्त्री ही करती है ||

कोठे में स्त्री अपनी अस्मत बेचती है
तो घर में माँ बहने सुरक्षित रहती है
जीने की चाह में पल पल मरती है स्त्री
अगर मरने की ठान ले तो जीना आसान हो जाए ||

नाली में रेंगते कीड़े सा जीवन भी कोई जीवन है
खुद के लिए कुछ ना करोगे तो खुदा भी कुछ ना कर सकेगा
तोड़ दो जंजीरे रस्मो की अब और नही बंधना है तुम्हे
कमर कस लो और कमा लो अपने बूते से अपना आत्म सम्मान ||




No comments: