उलझी उलझी थी दिल की गली
रुकते चलते फिर बात चली||
कदमो कदमो हम साथ चले
थे उनकी गली मंजिल ना मिली ||
भौचक से रहे वो देखा किये
हमने जो कही उसने ना सुनी||
उलझी उलझी थी दिल की गली
रुकते चलते फिर बात चली||
दिल की जो लगी लब से निकली
हल्की हल्की तबियत मचली||
कुछ वो बहके कुछ हम सम्भले
नजरो से चली नजरो को लगी||
उलझी उलझी थी दिल की गली
रुकते चलते फिर बात चली||
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