सूरज ने दिल में ठानी है
करनी अब मनमानी है
बरस रहे है आग के शोले
याद दिलाई नानी है
तप गयी है धरती सारी
तप गया है आकाश
झुलस गये है पेड़ पोधे
झुलस गया तन का मांस||
बदहवास से लोग लग रहे
कपडे तन पे बोझ लग रहे
चैन छिन गया जीवन का
रात रात भर लोग जग रहे||
बादल जाने कहाँ जा छुपे
सूना सूना है आकाश
जाने कब बरसेगी बारिश
थमी हुई है सबकी सांस||
सूरज ने दिल में ठानी है
याद दिलाई नानी है||
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