Wednesday, August 6, 2014

चार लाइनें

साथ तो चलते है पर साथ नही होते
वो हमें समझ सके ऐसे हालात नही होते
उम्र गुजर गयी उनके प्यार में
जुबां तो साथ देती है मगर जज्बात नही होते ||

सदियों से ना जाने किस आग में जल रहा है सूरज 
जाने किस बात पे इतना खफा रहता है 
जला देना चाहता है सारी ही कायनात 
क्या खुश रह पायेगा अकेला ?

हमें भी किसी के दिल में सजाया होता 
कोई दिल हमारे लिए भी बनाया होता
होती रोशन दुनिया हम से जिसकी 
कोई ऐसा नूर हममे भी जलाया होता ||

खड़ा था एक पेड़ मजार के पास
बड़ी शान से सर उठाये 
अकड से सीना ताने 
मन्नत के ऐसे धागे जिस्म पर बंधे
कि उसकी खुद की जिन्दा रहने की
मन्नत अधूरी रह गयी ||

खुशियाँ हो जीवन में ऐसी
अरमान रहे ना कोई बांकी 
मय रहे ना बांकी मैखाने में
आज इतनी पिला दे आ साकी||

साथ तो कोई नही मेरे
सब अपनी यादे भेज देते है 
उलझा देते है सब मिलकर मुझे 
और मेरे दो चार घंटे बीत जाते है||

यू ही ना किस्सा तमाम होगा मेरा 
बाद मरने के नाम होगा मेरा 
तोड़ी है रवायते बदले है उसूल 
कुछ तो काम तमाम होगा मेरा||

जिन्दगी जीने की वजह ना मिली 
मौत का ठिकाना ना मिला 
गुजरता रहा वक़्त भी ऐसे 
रोने का बहाना ना मिला||

इक शहर मेरे सपनो का होगा 
मेरी जमीं मेरा आसमां होगा 
कहकहो के बादल उड़ेंगे 
खुशियों की बारिश होगी||

प्यार मोहब्बत के किस्से अफ़साने हो गये 
मेरे अपने आज मुझसे बेगाने हो गये 
वक़्त ने बदली कुछ ऐसी करवटे 
खुशियों के महल वीराने हो गये||

एक तनहा में हु एक तनहा मेरा दिल है 
रौनके है चारो तरफ खुशियों का शोर है 
रोज नया दिन है रोज रात पुरानी है 
तन्हाई की और मेरी अपनी प्रेम कहानी है||

हमारी हर खबर की उन्हें खबर है 
इस खबर से हम बेखबर थे 
वो तो जिक्र निकल आया
तो खबर की खबर हो गयी||

रिश्तो में ऐसी धूल पड़ी 
रिश्ता पहचानना मुश्किल हो गया 
दिल का लहू अश्क बन बैठा 
और जख्मी ये दिल हो गया||

यु ही नही कोई किसी को भा जाता 
कुछ तो होगा पिछले जनम का नाता 
आ भी जाओ अब जिन्दगी बनकर 
की तुम बिन अब नही जिया जाता||

जैसे जैसे हम मशरूफ होते गये 
अपने सारे हमसे दूर होते गये 
हमने भी रख लिया दिल पे पत्थर 
और हम पत्थर दिल मशहूर होते गये||

तू जो हमसफ़र होता तो सफ़र कुछ और होता 
जिन्दगी की राहों का बसर कुछ और होता 
गुजरती जिन्दगी जो तेरी पनाहों में 
तो मंजिले मंजर कुछ और होता||

बिगड़ी मेरी भी किस्मत कुछ इस करके 
उपरवाले से संवारा ना गया 
अपना भी बनाया ना गया और 
गैर भी जताया ना गया||

कुछ इस तरह से जिंदगी को जिया है हमने 
मौत को कतरा कतरा पिया है हमने 
जीने की दुआ तो मांगी ही ना थी रब से 
ना जाने किस की दुआ थी जो मौत भी नसीब ना हुई||
  
टूटे हुए दिल की सदा दूर तलक गयी
छुपाना चाह मगर बिखर बिखर गयी 
खेल समझा खिलोनो का 
अपनों ने तोडा गैरों ने तोडा 
जिसका भी दिल किया 
खेल खेल कर तोडा||

खुशनसीब है वो जो किसी के दिल में बसते है
हमारी किस्मत में तो सिर्फ और सिर्फ रस्ते है 
पानी भी पीना हो तो कुआ खुद से खोदना पड़ता है 
कौन जाने कि हम दो बूंद को तरसते हो||

हमसे जो दूर जा रहे हो खुश फिर भी ना रह सकोगे 
हमने तो कह दी दिल की बात तुम फिर भी ना कह सकोगे 
तडपोगे कुछ इस कदर हमारी याद में 
कि रह भी न सकोगे और कह भी न सकोगे||

कतरा कतरा पिघल रही है जिन्दगी 
ना जाने कब से जल रही है जिन्दगी 
आग लगी है ख्वाबों की बस्ती में
मचा हुआ है कोहराम
जल कर हुए ठूँठ वो सारे 
कौन बचाए जान ?

अगले पल का पता नही यहाँ ख्वाहिशें हजार है 
कल किसी को दीखता नहीं सपनो से भरा संसार है
जो आज को जीना सिख लिया समझो कल को जीत लिया 
सपने है जीने की आशा सपने कुछ करने का जोश 
सपने पुरे करते करते रहा किसी को कहाँ होश 
कितना खोया कितना पाया कौन भला कब जान पाया||



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