Monday, August 4, 2014

हर लम्हा तन्हा हर सांस तन्हा दिल के सारे अहसास भी तन्हा

हर लम्हा तन्हा हर सांस तन्हा
दिल के सारे अहसास भी तन्हा
जीवन का इक इक पल तन्हा
कैसे कोई जिए हर पल तन्हा||

बोझ रहा जीवन भर जीवन
जीना बन गया मज़बूरी 
बांकी ना रहेगा नामो निशाँ
हर पल जलना तकदीर मेरी||

सूखे पत्ते सा झर रहा
जीवन से एक एक पल
गुजर गया जो लम्हा बीता
वो जुड़ ना सकेगा कल ||

हर मौसम पतझर ही बना
रह जायेगा एक ठूँठ खड़ा
दीमक चाट रही जड़ो को
कल वो मिलेगा ढेर पड़ा||

दफ़न हो गये सपने सारे
तन्हाई के आगोश में
मौत की नींद सुला दो मुझको
लाना ना अब होश में

2 comments:

राजेंद्र अवस्थी. said...

सदाबहार लेखन कौशल है आपका..अति सुंदर..

ह्रदय क्रंदन said...

शुक्रिया राजेन्द्र अवस्थी जी