Friday, August 22, 2014

जब भी हमने काला चश्मा लगाया

जब भी हमने काला चश्मा लगाया
सीने को ४ इंच चौड़ा ही पाया ||

ना जाने क्या कनेक्शन था दोनों में
चश्मा लगाते ही सीना फूल जाता था||

सीना फूलते ही शरीर हरकत में आ जाता
५ फिट के हम खुद को ६ फिट के समझने लगते ||

क्रांति ही आ जाती शरीर में
एक तो वैसे ही हमारी मोटी नाक ||

फूलकर और मोटी हो जाती
तो हमें हो जाती और परेशानी ||

पर काला चश्मा लगाना भी जरुरी था
बिन काले चश्मे के पर्सनेलिटी अधूरी ही लगती हमें ||

फिर वो हमारे हेयर बैंड का भी काम कर देता है
तो हम और भी निखर निखर जाते है ||

दिन हो या रात, धुप हो या बरसात अब अधूरे तो नही रह सकते ना
अब काला चश्मा लगाते  है तो कुछ गलत करते है क्या ?



No comments: