सीने को ४ इंच चौड़ा ही पाया ||
ना जाने क्या कनेक्शन था दोनों में
चश्मा लगाते ही सीना फूल जाता था||
सीना फूलते ही शरीर हरकत में आ जाता
५ फिट के हम खुद को ६ फिट के समझने लगते ||
क्रांति ही आ जाती शरीर में
एक तो वैसे ही हमारी मोटी नाक ||
फूलकर और मोटी हो जाती
तो हमें हो जाती और परेशानी ||
पर काला चश्मा लगाना भी जरुरी था
बिन काले चश्मे के पर्सनेलिटी अधूरी ही लगती हमें ||
फिर वो हमारे हेयर बैंड का भी काम कर देता है
तो हम और भी निखर निखर जाते है ||
दिन हो या रात, धुप हो या बरसात अब अधूरे तो नही रह सकते ना
अब काला चश्मा लगाते है तो कुछ गलत करते है क्या ?
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