हर लम्हा तन्हा हर सांस तन्हा
दिल के सारे अहसास भी तन्हा
जीवन का इक इक पल तन्हा
कैसे कोई जिए हर पल तन्हा||
बोझ रहा जीवन भर जीवन
जीना बन गया मज़बूरी
बांकी ना रहेगा नामो निशाँ
हर पल जलना तकदीर मेरी||
सूखे पत्ते सा झर रहा
जीवन से एक एक पल
गुजर गया जो लम्हा बीता
वो जुड़ ना सकेगा कल ||
हर मौसम पतझर ही बना
रह जायेगा एक ठूँठ खड़ा
दीमक चाट रही जड़ो को
कल वो मिलेगा ढेर पड़ा||
दफ़न हो गये सपने सारे
तन्हाई के आगोश में
मौत की नींद सुला दो मुझको
लाना ना अब होश में
2 comments:
सदाबहार लेखन कौशल है आपका..अति सुंदर..
शुक्रिया राजेन्द्र अवस्थी जी
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