मेघा पानी बरसाए
मोरा जिया हर्षाये |
पड़े पानी की फुहारे
जिया तुझको पुकारे||
भीगे धरती गगन
नाचे मयूर मगन|
धानी ओढ़ के चुनर
धरती गयी है निखर ||
टिप टिप पड़े पानी
पीर पानी ने ना जानी |
भीगा भीगा मोरा तन
रहा सूखा सूखा मन ||
पिया समझे नही बात
काली लम्बी नागिन रात|
दिन तो जाता है गुजर
रास्ता देखू सारी रात||
होगा कौन सा वो पल
चाँद आएगा निकल |
सीने से फिसला दिल
पत्थर जाएगा पिघल ||
मेघा पानी बरसाए
मोरा जिया हर्षाये ||
No comments:
Post a Comment