Wednesday, November 26, 2014

नये युग का प्रेम

स्त्री को चाह होने लगी स्त्री की
पुरुष कर रहा पुरुष से प्यार
कैसे तो ये संभव है
और कैसे हो जाता इकरार||

स्वभाविक सी अभिव्यक्ति है
या सामाजिक वर्जनाओं को तिरस्कृति है
ईश्वर का तो नही रहा होगा ऐसा कोई अभिप्राय
प्यार के नये नये रूप देते दिल हिलाए||

स्त्री और पुरुष का अनमोल अनूठा जोड़
सृष्टि टिकी है इस रिश्ते पर कैसे कोई सकता तोड़
वासनाओं के दिख रहे नित नए ही रूप
इश्क हो रहा शर्मिंदा प्यार दिख रहा कुरूप||

सृष्टि की रचना, करते नर और नारी
स्नेह उनका पड जाता जग पर हरदम भारी
अस्वाभाविक रिश्ते कुछ पल के मेहमान
जैसे आ जाता दूध में उफान||

युगों युगों तक अमर रहता नर नारी का प्यार
देता सन्देश जीवन का करता सृष्टि का सत्कार ||


सरिता पन्थी 

पानी और प्यास

पानी हमको पीना है
मिनरल या फिर फ़िल्टर
साफ़ पानी सुरक्षित पानी
खुद का बर्तन खुद का पानी||

पानी बड़ा या प्यास ?
विषय है ये बेहद ही ख़ास
प्यास है एक स्वाभाविक सी क्रिया
प्यास सभी को जगती है||

कभी मिल जाता पानी तो
कभी सूखे से तपती है
प्यास है तन के प्यास है मन की
प्यास आँखों की प्यास कुछ पाने की||

पानी चाहिए मीठा मीठा
हो तो फ़िल्टर या फिर मिनरल
प्यासा जब मरने को आता
कीचड़ से भी प्यास बुझाता||

प्यासे को पानी का मोल
बूंद बूंद अमृत अनमोल
पानी हमको पीना है
मिनरल या फिर फ़िल्टर||


सरिता पन्थी