दिल करता कुछ ऐसा लिखू
जो भी पढ़े आनंद मिले ||
जो भी पढ़े आनंद मिले ||
फूलों की सी रंगत हो जिसमे
तितलियों की सी शोखी हो
सागर सी गहराई हो
नदियों सा बहाव हो ||
सूरज सी धुप हो
चन्दा की छाँव हो
सुर हो लय हो
ताल बेमिसाल हो ||
दिल करता कुछ ऐसा लिखू
जो भी पढ़े आनंद मिले ||
इंद्रधनुष से रंग हो
अपनों की खुशियाँ संग हो
झुरमुट की सरगोशी हो
प्यालो की मदहोशी हो ||
झरनों का राग हो
होली का फाग हो
बचपन की किलकारी हो
यौवन की आग हो ||
दिल करता कुछ ऐसा लिखू
जो भी पढ़े आनंद मिले ||
खुद को सुकून हो
आनंद परमानंद हो
आह हो घाव हो
दिल के मेरे भाव हो ||
दिल के मेरे भाव हो ||
कुछ सपने हो
कुछ यादे हो
कुछ बीते दिनों की
बाते हो ||
दिल करता कुछ ऐसा लिखू
जो भी पढ़े आनंद मिले ||
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