प्रियतम अब तुम आ जाओ||
अधरों की प्यास बुझा जाओ
मेरा मन मंदिर महका जाओ
दर्शन को व्याकुल नैनो को
बस एक झलक दिखला जाओ||
प्रियतम अब तुम आ जाओ||
तुम बिन सूना घर आँगन है
तुम बिन सूनी हर रात मेरी
तुम थे तो कलियाँ खिलती थी
तुम बिन सूनी हर बात मेरी||
प्रियतम अब तुम आ जाओ||
तुम बिन ये जीवन पतझड़ सा
तुमसे हर दिन मधुमास मेरा
थाम लो आकर हाथो में प्रियतम
अपने अब तुम हाथ मेरा ||
No comments:
Post a Comment