बड़ी उलझी होती है रिश्तो की डोर
कभी सीधे सपाट सुलझे नही होते
जितना गहरा रिश्ता उतनी ज्यादा उलझन
उलझता है मांझा जैसे ||
और तोड़े भी नही जाते
सोचोगे कि तोड़ दिया रिश्ता
पर वो एक गाँठ से बंध कर
जुड़ा रहता है हमेशा||
बड़ी अहमियत होती है रिश्तो की
कुछ रिश्ते दुःख दे जाते है
और कुछ साथ निभाते है हमेशा
स्वार्थी दुनिया में स्वार्थी हो गये है रिश्ते भी||
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