Tuesday, August 5, 2014

कल आज और कल

होना है जो होना है
बिन आंसू क्यों रोना है
बीत गये जो दिन भी अच्छे
आएगा जो होगा अच्छा||

खेत, गाँव, नहर थे
इक्का दुक्का शहर थे
केरोसिन की रौशनी थी
नीम तले दोपहर थे||

गाँव में सांझा चूल्हा था
पेड़ो तले झुला था
घरो में कमरे कम थे
छतों पे सोते हम थे||

पैसो की कीमत कम थी
रिश्तो में भरा प्यार था
वो दिन क्या सुहाने थे
हमको वो ही भाने थे||

समय बीता वक़्त बदला
थोडा सा तो हम भी बदलें
बदल गयी सारी तस्वीर
मुट्ठी में आई तकदीर||

मानव ने मानव बनाया
मशीनों का युग है आया
वो दिन गर अच्छे थे
तो ये दिन भी तो अच्छे है||

कल हम बच्चे थे जहां
आज अपने भी बच्चे है
वो क्या जाने कल का राग
उन्हें तो भाये मशीने आज||

हमको भी तो कुछ कुछ भाता है
सब मर्जी से कहाँ आता है
बदलना ही तो नियम है
तो बदलने से क्यों रोना है||

जो हो जाए वो कम है
जो होता है वो होना है
क्या क्या अभी तो होना है
बच्चो की गोदी सोना है||

जीवन है बहता पानी सा
सदियों तक यु बहना है
आते दिनों में जो हो जाए
कहना वो तो होना है ||

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