Tuesday, August 5, 2014

दिल करता कुछ ऐसा लिखू

दिल करता कुछ ऐसा लिखू
जो भी पढ़े आनंद मिले |

फूलों की सी रंगत हो जिसमे
तितलियों की सी शोखी हो
सागर सी गहराई हो
नदियों सा बहाव हो ||

सूरज सी धुप हो
चन्दा की छाँव हो
सुर हो लय हो
ताल बेमिसाल हो |

दिल करता कुछ ऐसा लिखू
जो भी पढ़े आनंद मिले |

इंद्रधनुष से रंग हो
अपनों की खुशियाँ संग हो
झुरमुट की सरगोशी हो
प्यालो की मदहोशी हो |

झरनों का राग हो
होली का फाग हो
बचपन की किलकारी हो
यौवन की आग हो

दिल करता कुछ ऐसा लिखू
जो भी पढ़े आनंद मिले |

खुद को सुकून हो
आनंद परमानंद हो
आह हो घाव हो
दिल के मेरे भाव हो |

कुछ सपने हो
कुछ यादे हो
कुछ बीते दिनों की
बाते हो |

दिल करता कुछ ऐसा लिखू
जो भी पढ़े आनंद मिले |

2 comments:

राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' said...
This comment has been removed by the author.
राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' said...

सुन्दर अभिव्यक्ति बेहतरीन पंक्तियां .........फूलों की सी रंगत हो जिसमे
तितलियों की सी शोखी हो
सागर सी गहराई हो
नदियों सा बहाव हो ||

सूरज सी धुप हो
चन्दा की छाँव हो
सुर हो लय हो
ताल बेमिसाल हो |