फिर से आई है
बारी
धरती पर वापस
जाने की||
पुत्र कर रहे है
तैयारी
पितरों संग
त्यौहार मनाने की||
अफरा तफरी मची
हुई है
जाना भी तो
जरुरी है||
पितृ पक्ष में
मिलन है होता
फिर तो लम्बी
दुरी है ||
कुछ आ जाते ख़ुशी
ख़ुशी
कुछ अनमने से
आये है||
सुख ही सुख तो
ना था जीवन
दुखों के घाव भी
खाए है ||
जीते जी तो कुछ
ना पाया
मर गये तब याद
है आया||
खीर पूरी का भोग
लगाया
नाम हमारे
ब्राह्मण ने खाया||
जीते जी आशीष
दिया है
मर कर भी आशीष
है देते
हमने तो झुलसाया
जीवन
तुम्हे कभी ना
आंच लगे ||
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