Saturday, December 27, 2014

गणेश जी की व्यथा


गणेश जी ने व्यथा सुनाई
माँ पार्वती के आगे
इतनी सर्दी पड़ रही माँ
कैसे कोई  नींद से जागे

भक्तजन जगा देते है
घंटी बजा बजा कर
लड्डुओं का लोभ दिखलाते
थाल सजा सजा कर

ठन्डे ठन्डे पानी से
रोज पुजारी नहलाता
कितनी भी सर्दी लग जाए
छींक कभी ना मैं पाता

कपडे तुमने कम पहनाये
कुछ तो ब्रांडेड दिलवा दो
बुना ना जाता स्वेटर तुमसे
उनी कुछ भी सिलवा दो

बात मेरी बहुत है ख़ास
मुझ पर तुम कर लो विश्वास
बिगड़ रही है सेहत मेरी
हफ्ते में दे दो एक अवकाश

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